क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कविता: ऋतु बसंत सुहाय, खेत में सरसों फूलें

By 'चेतन' नितिनराज खरे
Google Oneindia News

ऋतु बसंत सुहाय, खेत में सरसों फूलें
रही धरा हर्षाय, भ्रमर फूलों पर झूलें
मौसम है मदमस्त, किये श्रृंगार निराले
बिछी पीलिमा मस्त, मनहु पीताम्बर डाले

मनमोहक यह रूप, मोहिं बहुतय हर्षायो
बाग़ तड़ाग में कूक, बसंती राग है भायो
बजें प्रीत के गीत , दिशायें सब इठलातीं
सँग मनहूँ मनमीत, प्रक्रति भी है मदमाती

धूप छाँव के बहाने इस धरा को सजाने
ऋतुराज को मनाने बसंत आ गया
गीत प्रेम के सुनाने मनमीत को मनाने
सुख सम्रद्धि को बढाने बसंत आ गया

पुष्प को खिलाने प्रेमगीत गुनगुनाने
हर कली को महकाने बसंत आ गया
प्रियतम को बुलाने प्रियसी को रिझाने
नित नव कोपलें उगाने बसंत आ गया

कोकिल की कूक संग खिली हुई धूप संग
इस इठलाते रूप संग बसंत आ गया
सरसों के खेत संग उज्जवल सी रेत संग
सतरंग पीत स्वेत संग बसंत आ गया

Comments
English summary
A Impressive Poetry on Basant Panchami by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare Chitravanshi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X