जानिए मकर संक्रांति पर कैसे बदल सकती है आपकी लाइफ
देश भर में मकर संक्रांति की धूम है। हिन्दुओं के इस पावन त्योहार का देश में सबसे ज्यादा महत्व उन लोगों के लिये है, जो लोग कृषि से जुड़े हुए हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है, इस अवसर पर छोटे से पूजन से आप अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं।
2013 की विदार्इ और 2014 का स्वागत करते हुये अक्षय उर्जा के मालिक सूर्य देव से जीवन की समस्याओं से मुकित पाने की प्रार्थना करने का महापर्व है मकर संक्रांति। सूर्य साक्षात प्रकृति की ऊर्जा का प्रतीक है। सूर्य आत्मा का कारक है और आत्मा में परमात्मा यानि परमऊर्जा का निवास होता है। जब-तक हम आत्म-विश्वास से लबरेज नहीं होंगे तब-तक आकांक्षाओं की पूर्ति असम्भव सी प्रतीत होगी। सूर्य की उपासना से अध्यातिमक ऊर्जा का संचरण होता है। सकारात्मक ऊर्जा से मन व तन में विशुद्धता आती है। तन व मन के शुद्ध होने पर आत्मबल में वृद्धि होती है और आत्मबल से मनोकामनाओें की पूर्ति के मार्ग प्रशस्त होते है।
संक्रांति के प्रवेश लेकर 16 घण्टे की अवधि तक पुण्य काल माना जाता है। सूर्योदय से 5 घड़ी अत्यन्त शुभ काल माना जाता है। इस काल में स्नान, दान, जप, तर्पण आदि किये गये कार्यो का विशेष महात्म्य है। सन 2014 में सूर्य 14 जनवरी को मध्यान्ह 01:13 मि0 पर मकर राशि में गोचर करना प्रारम्भ करेगा।
तिल का महत्व
विष्णु धर्मसूत्र में उल्लेख है कि मकर संक्रांति के दिन तिल का 6 प्रकार से उपयोग करने पर जातक के जीवन में सुख व समृद्धि आती है। 1- तिल के तेल से स्नान करना। 2- तिल का उबटन लगाना। 3- पितरों को तिलयुक्त तेल का अर्पण करना। 4- तिल की आहूति देना। 5- तिल का दान करना। 6- तिल का सेंवन करना। हलाकि व्यवहारिक दृषिटकोण से यदि देखा जाये तो तिल की एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो कि काफी गर्म होता है। सर्दी के मौसम में तिल के सेंवन से शरीर गर्म रहता है और आप जिससे कड़ाके की ठण्ड से बच सकते है।
मकर संक्रांति पर खिचड़ी ही क्यों
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति के दिन भोजन के रूप में खिचड़ी खाने की परम्परा प्रचलित है। उत्तर भारत में चावल की पैदावार अधिक होती थी। मकर संक्रांति को नयें वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसलिए नयें वर्ष में नया चावल खाना ज्यादा अच्छा माना गया है।
जीवन में परिवर्तन लाने के लिये एवं पुण्य प्राप्त करने के लिए क्या करें क्या करें, जानने के लिये स्लाइडर पर देखें।
सुख शांति के लिये
सूर्योदय बेला में उठकर जल में लाल चन्दन एंव लाल फूल डालकर 12 लोटा जल सूर्य देव को चढ़ायें। साथ में गायत्री मन्त्र का जाप करें।
वंश वृद्धि के लिये
अपने पूर्वजों का तिल के तेल से तर्पण करें। जिससे आप वंश वृद्धि एंव परिवार में समृद्धि आयेगी।
समृद्धि के लिये
तिल से बनी वस्तुओं का सेंवन करें एंव दान करें। खिचड़ी का भी दान करना चाहिए। परिवार में समृद्धि आयेगी।
संतान प्राप्ति के लिये
सन्तान प्रापित की इच्छा रखने वाले जातक संक्रांति के दिन उपवास रखें एंव आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें।
रोग से छुटकारा पाने के लिये
शरीरिक व्याधियों से ग्रस्त लोगों को आज के दिन प्रात: काल में सूर्य नमस्कार करना चाहिए और सूर्य की आराधना करना चाहिए। ऐसा करने से रोग में कमी आयेगी।
स्वस्थ्य रहने के लिये
इस दिन प्रात: काल उबटन लगाकर तीर्थ जल से मिश्रित जल से स्नान करें। यदि तीर्थ का जल उपलब्ध न हो तो दूध व दही से भी स्नान कर सकते है।
संबंधों में मधुरता के लिए
यदि पिता-पुत्र में वैचारिक मतभेद है तो संक्रांति के दिन दोनों लोग एक-दूसरे को लाल वस्तु उपहार के रूप में भेंट करें। सम्बन्धों में मधुरता आयेगी।
क्या न करें
पुण्यकाल में दांत माजना अर्थात ब्रश न करें। कटु शब्दों एंव असत्य न बालें, फसल या वृक्ष काटना, गाय, भैंस का दूध निकालना एंव मैथुन काम विषयक कर्म कदापि न करें।