न्यूड पेंटिंग के महारथी प्रोकाश कर्माकर का निधन
कोलकाता। प्रसिद्ध पेंटर प्रोकाश कर्माकर का सोमवार शाम निधन हो गया। संयोग की बात यह है कि कल ही उनका 81वां जन्मदिन मनाया गया था। उनके निधन की यह जानकारी उनके पारिवारिक सूत्रों ने दी। वह 81 साल के थे। कर्माकर की कई पेंटिंग नेशनल गैलरी आफ मार्डन आर्ट, दिल्ली स्थित ललित कला अकादमी और कोलकाता के एकेडमी आफ फाइन आर्ट्स का स्थायी हिस्सा हैं।
कर्माकर नग्न और प्रकृति पर आधारित पेंटिंग के महारथी थे, जिस काम से उन्हें सराहना मिली है। उन्होंने शहरी, ग्रामीण जीवन और प्रकृति की तरफ अपने नजरिए को भी पेंटिंग में स्थान दिया था। कर्माकर पिकासो और 19वीं सदी के अन्य महान कलाकारों से प्रेरित थे।
कर्माकर का जन्म 24 फरवरी 1933 में कोलकाता में हुआ था। देश की कई आर्ट गैलरियां उनकी पेंटिंग्स से सुशोभित हैं। वैसे कर्माकर अपनी न्यूड पेंटिंग्स और लैंडस्केप के लिये जाने जाते थे। उनकी पेंटिंग्स की खास बात यह थी कि वो अपनी कला से तमाम ऐसे दृश्यों को प्रस्तुत कर देते थे, जिसमें निर्वस्त्र आकृतियों में भी दर्द उभर कर सामने आ जाता था।
देखें कर्माकर के द्वारा बनायी गई कुछ पेंटिंग्स व उनके बारे में और भी बहुत कुछ स्लाइडर में-
प्रकृति और समाज
कर्माकर की पेंटिंग्सस में प्रकृति के रंगों के साथ-साथ सामाजिक परिदृश्य भी छिपे होते थे।
1968 में ललित कला अवार्ड
कर्माकर को 1968 में ललित कला अकादमी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1970 में अवार्ड
1970 में कर्माकर को रबिंद्र भारती विश्वविद्यालय सम्मन और 1976 में बिरला अकैडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर कलकत्ता अवार्ड दिया गया।
1996 में पुरस्कार
1996 में एआईएफएसीएस अवार्ड, 2000 में कर्माकर को अबानिंद्र पुरोस्कार से नवाजा गया। यह पुरस्कार पश्चिम बंगाल सरकार ने दिया।
प्रदर्शनी
कर्माकर ने कई जगह एकल प्रदर्शनी लगायी और उनकी पेंटिंग्स को दुनिया भर में सराहा गया।
कर्माकर के रंग
प्रोकाश कर्माकर की पेंटिंग्स में रंगों का अनोखा संगम दिखाई देता है।
गांव और शहर दोनों
प्रोकाश कर्माकर ने अपनी पेंटिंग्स में गांव और शहर दोनों के ही जीवन को प्रस्तुत करने के हमेशा प्रयास किये।
पिकासो अवार्ड
उन्होंने शहरी, ग्रामीण जीवन और प्रकृति की तरफ अपने नजरिए को भी पेंटिंग में स्थान दिया था। उन्हें पिकासो ने भी सम्मान से नवाजा।
इतिहास पर पेंटिंग्स
अपनी पेंटिंग्स में उन्होंने ऐतिहासिक चित्रण भी किया। जिनमें ज्यादातर काले अध्यय प्रस्तुत किये।
फ्रांस में मिली फेलोशिप
कर्माकर की पेंटिंग्स ने दुनिया भर में भारत का नाम रौशन किया। फ्रांस सरकार ने खास तौर से कर्माकर को फेलोशिप प्रदान की।
प्रकृति और समाज
कर्माकर की पेंटिंग्सस में प्रकृति के रंगों के साथ-साथ सामाजिक परिदृश्य भी छिपे होते थे।