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कविता: ये बलखाती लहराती जुल्फें ,नित घायल मुझे...
स्वर्ग परी सी ये सुन्दरता , मुझको निकट तेरे ले आती है ॥
ये
बलखाती
लहराती
जुल्फें
,नित
घायल
मुझे
बनाती
हैं
।
ये
रूह
की
तेरी
मोहक
खुशबू,तेरा
कायल
मुझे
बनाती
है
॥
इन
अधरों
के
मधुर
मिलन
में,
यह
दुनिया
सारी
समाई
है
।
इन
झुकी
हुई
पलकों
के
अन्दर,देखो
कितनी
गहराई
है
॥
इन्
नयनों
की
एक
अदा
ने
,
इस
पत्थर्
को
प्रीत
सिखा
डाली।
जाम
ने
तेरे
इस
यौवन
के
,
ये
मुझे
कैसी
रीत
सिखा
डाली
॥
नाजुक
सी
गोरी
बाहें
तेरी
,थाम
के
चलने
को
दिल
करता
है।
श्रृंगार
तेरा
नख
से
सिख
तक,
नित
करने
को
दिल
करता
है
॥
कोमल
कपोलों
मे
पडी
भंवर,
है
लगता
ऋतु
अब
आयी
संवर
।
माथे
की
सुन्दर
सी
बेन्दी
यह,
है
लगती
फूलों
पर
मधुकर
॥
Comments
English summary
A Touching Poetry on beautiful woman written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare 'Chitravanshi'.
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