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कविता: ये बलखाती लहराती जुल्फें ,नित घायल मुझे...

By कवि- 'चेतन' नितिनराज खरे 'चित्रवंशी'
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Woman
इस यौवन को तेरे देख देखकर, नजर ये थम सी जाती है ।
स्वर्ग परी सी ये सुन्दरता , मुझको निकट तेरे ले आती है ॥

ये बलखाती लहराती जुल्फें ,नित घायल मुझे बनाती हैं ।
ये रूह की तेरी मोहक खुशबू,तेरा कायल मुझे बनाती है ॥

इन अधरों के मधुर मिलन में, यह दुनिया सारी समाई है ।
इन झुकी हुई पलकों के अन्दर,देखो कितनी गहराई है ॥

इन् नयनों की एक अदा ने , इस पत्थर् को प्रीत सिखा डाली।
जाम ने तेरे इस यौवन के , ये मुझे कैसी रीत सिखा डाली ॥

नाजुक सी गोरी बाहें तेरी ,थाम के चलने को दिल करता है।
श्रृंगार तेरा नख से सिख तक, नित करने को दिल करता है ॥

कोमल कपोलों मे पडी भंवर, है लगता ऋतु अब आयी संवर ।
माथे की सुन्दर सी बेन्दी यह, है लगती फूलों पर मधुकर ॥

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English summary
A Touching Poetry on beautiful woman written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare 'Chitravanshi'.
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