क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कविता: ऋषि मुनियों की तपोभूमि से ,अब सत्य अहिंसा दूर है

By 'चेतन' नितिनराज खरे 'चित्रवंशी'
Google Oneindia News

ऋषि मुनियों की तपोभूमि से ,
अब सत्य अहिंसा दूर है |
सच बातों को झुठलाने में,
कुछ पेशेवर मजबूर हैं ||

सत्य अहिंसा की छाया भी,
कहीं नहीं अब मिलती है |
झूंठ कपट की कुटिल हंसी ,
अब हर चेहरे में खिलती है ||

सत्य बोलने वालों का है ,
अब इस जग में निर्वाह नहीं |
सत्कर्मों को करने वालों की ,
यहं होती है अब चाह नहीं ||

अब सदाचार को अपनाने की ,
है दिखती कोई राह नहीं |
झूठ कपट के मकडजाल की ,
है मिलती कोइ थाह नहीं ||

लेकिन याद कीजिये

अपने प्रण का पालन करते ,
कुछ राजा स्वर्ग सिधार गए |
कुछ भूपति तो सत्य के पीछे ,
धन दौलत सब हार गए ||

पर सम्पति की रक्षा खातिर ,
है अपना जीवन दान किया |
सत्य प्रेम के उपदेशों का ,
सदा है जिनने गान किया ||

उस बुद्ध व उन दधीची के ,
जीवन को कुछ ध्यान करो |
सत्यवादिता की मिशाल उस ,
युधिष्ठिर का आह्वान करो ||

इसीलिये-

सत्य का है जिनने किया ,
पालन जीवन पर्यंत है |
तो आज भी उनकी कथा ,
जीवंत है - जीवंत है ||

धर्म की जय हो..................

Comments
English summary
A Impressive Poetry on Non Violence written by Oneindia Reader and Poet Chetan Nitinraj Khare chitravanshi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X