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इको फ्रेंडली गणेश मूर्ति के साथ मनाएं गणेश चतुर्थी

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मुंबई। 9 सिंतबर से गणेश चतुर्थी की पूजा शुरु होने वाली है। पूरे महाराष्ट्र के इस महापर्व को लेकर तैयारियों जोरों-शोरों पर है। गणेश पूजा के लिए बड़े-विशाल पंडाल सजाएं जा रहे है। भगवान गणेश की बड़ी-से-बड़ी और छोटी से छोटी मूर्तियों से बाजार सज गया है। कलाकार गणेश की प्रतिमाओं को अंतिम रुप देने में जुट गए है। लेकिन इसबार इको फ्रेंडिली गणेश की मूर्तियों की खासा डिमांड बढ़ गई है।

मेहमान बनकर घर में विराजमान होने वाले गणपति बप्पा की इको फ्रेंडली मूर्तियों को लोग खासा पसंद कर रहे है। लोग पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पैरीस से बनी बप्पा की मूर्तियों से बच रहे है। शाडू मिट्टी और प्रकृतिक रंगों से बनी बप्पा की मूर्तियों की की मांग काफी बढ़ गई है।

दरअसल शाडू मिट्टी से बनी मुर्तियां पानी में आसानी से घुल जाती है और प्रदुषण नहीं फैलाती। इस तरह की मूर्तियां प्रकृतिक के लिहाज से अपयुक्त है। इससे कोई प्रदूषण नहीं होता। जलीय जीव भी सुरक्षित रह पाते है। इसके अलावा पैपर मैश यानी कागज से बनी मूर्तियां भी लोग पंसद कर रहे है।

हैदराबाद नगर निगम ने शहर भर के लोगों को इको फ्रेडली गणेश की मूर्तियां उपलब्ध कराने के लिए 25000 मूर्तियों का ऑर्डर किया है। इसके अलावा 200 से 250 रुपए में मिट्टी की बनी गणेश की छोटी मूर्तियां स्टॉलों पर उपलब्ध कराई गई है।

महाराष्ट्र में पेपर मैशे यानी कागज से बनी मूर्तियों की कीमत 1,000 रुपए से शुरू होती है वहीं शाडू मिट्टी से बनी मूर्तियां पीओपी की मूर्तियों से करीब 50 फीसदी से ज्यादा महंगी होती है।

प्रदूषण को रोकने के लिए इको फ्रेंडली मूर्ति के साथ-साथ गणपति की सजावट भी इको फ्रेंडली की गई है। आमतौर पर थर्माकोल से बने रेडीमेड सजावट के सामान की ओर लोगों का ज्यादा झुकाव होता है, लेकिन पर्यावरण को देखते हुए पंडालों की सजावट के लिए लाइट्स, दिए और रंगबिरंगी लेस को इस्तामल किया जा रहा है। इतना ही नहीं गणेश की मूर्तियों को रंगने के लिए प्रकृतिक रंगों का इस्तेमल किया जा रहा है।

गणपति बप्पा मोरया

गणपति बप्पा मोरया

गणेश चतुर्थी को देखते हुए बाजार में इको फ्रेंडली मूर्तियों की डिमांड बढ़ ही है। लोग थोड़ी ज्यादा कीमत देकर इन मूर्तियों को खरीद रहे है।

इको फ्रेंडली बप्पा करेंगे मनोकामना पूरी

इको फ्रेंडली बप्पा करेंगे मनोकामना पूरी

मेहमान बनकर घर में विराजमान होने वाले गणपति बप्पा की इको फ्रेंडली मूर्तियों को लोग खासा पसंद कर रहे है। लोग पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पैरीस से बनी बप्पा की मूर्तियों से बच रहे है। शाडू मिट्टी और प्रकृतिक रंगों से बनी बप्पा की मूर्तियों की की मांग काफी बढ़ गई है।

प्रकृतिक के लिए फायदेमंद है इको फ्रेंडली बप्पा

प्रकृतिक के लिए फायदेमंद है इको फ्रेंडली बप्पा

शाडू मिट्टी से बनी मुर्तियां पानी में आसानी से घुल जाती है और प्रदुषण नहीं फैलाती। इस तरह की मूर्तियां प्रकृतिक के लिहाज से अपयुक्त है। इससे कोई प्रदूषण नहीं होता।

गणेश चतुर्थी की धूम़

गणेश चतुर्थी की धूम़

गणेश की प्रतिमाओं के साथ- साथ उन्हें सजाने के लिए इस्तेमाल की गई रंगों में प्रकृतिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रकृतिक रंगों से बने बप्पा की मूर्तियां लोगों को खूब पंसद आ रही है।

गणेश चतुर्थी की धूम़

गणेश चतुर्थी की धूम़

हैदराबाद नगर निगम ने शहर भर के लोगों को इको फ्रेडली गणेश की मूर्तियां उपलब्ध कराने के लिए 25000 मूर्तियों का ऑर्डर किया है।

प्रदूषण रहेगा कंट्रोल

प्रदूषण रहेगा कंट्रोल

घमपति बप्पा की इको फ्रेंडली मूर्तियां प्रदूषण को कंट्रोल करता है। मूर्ति विसर्जन के बाद ये मूर्तियां आसानी से पानी में घुल जाती है, जिससे की जल प्रदूषण का खतरा खत्म हो जाता है।

गणेश चतुर्थी की धूम़

गणेश चतुर्थी की धूम़

हैदराबाद नगर निगम ने शहर भर के लोगों को इको फ्रेडली गणेश की मूर्तियां उपलब्ध कराने के लिए 25000 मूर्तियों का ऑर्डर किया है। इसके अलावा 200 से 250 रुपए में मिट्टी की बनी गणेश की छोटी मूर्तियां स्टॉलों पर उपलब्ध कराई गई है।

गणेश चतुर्थी की धूम़

गणेश चतुर्थी की धूम़

महाराष्ट्र में पेपर मैशे यानी कागज से बनी मूर्तियों की कीमत 1,000 रुपए से शुरू होती है वहीं शाडू मिट्टी से बनी मूर्तियां पीओपी की मूर्तियों से करीब 50 फीसदी से ज्यादा महंगी होती है।

गणेश चतुर्थी की धूम़

गणेश चतुर्थी की धूम़

प्रदूषण को रोकने के लिए इको फ्रेंडली मूर्ति के साथ-साथ गणपति की सजावट भी इको फ्रेंडली की गई है। आमतौर पर थर्माकोल से बने रेडीमेड सजावट के सामान की ओर लोगों का ज्यादा झुकाव होता है, लेकिन पर्यावरण को देखते हुए पंडालों की सजावट के लिए लाइट्स, दिए और रंगबिरंगी लेस को इस्तामल किया जा रहा है।

गणेश चतुर्थी की धूम़

गणेश चतुर्थी की धूम़

सरकार इन इको फ्रेंडली मूर्तियों को बढ़ावा दे रही है ताकि प्रदूषण को रोका जा सके।

Comments
English summary
A lot of awareness has been created among the public to celebrate the Ganesha Chaturthi festival without hindering the nature and environment.
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