गणेश चतुर्थी पर कैसे करें गणपति का पूजन?
गणेश को घर लाने से पूर्व क्या करें? गणेश को घर में बुधवार के दिन लाना अति शुभ व कल्याणकारी प्रतीत होता है। आप-अपने घर में गणेश को बिठाने के लिए पूर्व की दिशा के स्थान का चयन कर लें। गणेश को घर लाने से पहले एक तांबे का कलश जल भरकर चावल के उपर रख दें। इसके बाद जल भरे कलश पर एक पात्र में चावल भर कर रखें तथा लाल वस्त्र विछाकर गणेश जी को बिठायें।
गणेश पूजन विधि- भाद्रपद शुक्लपक्ष की चतुर्थी यानि 19 सितम्बर दिन बुधवार को प्रातःकाल स्नानादि नित्यकर्म से निवृत होकर अपनी शक्ति के अनुसार सोना, चांदी, तांबे, पीतल, मिटटी तथा गोबर से निर्मित गणेश जी की प्रतिमा को घर में पूर्व की दिशा में स्थापित करें। तत्पश्चात संल्कप लेकर हाथ में लिए हुये चावल व पुष्प को गणेश जी की प्रतिमा के पास छोड़ दें।
इसके बाद "ऊँ गं गणपते नमः" मन्त्र से गणेश जी का षोडशोपचार से पूजन करने के पश्चात मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ायें। मोदक और दूर्वा इस पूजा में विशेष है। अतः पूजा के अवसर पर 21 दूर्वा दलो को गणेश के निम्न - 1- ऊँ गणाधिपाय नमः, 2- ऊँ उमापुत्राय नमः, 3- ऊँ विघ्ननाशनाय नमः, 4- ऊँ विनाकाय नमः, 5- ऊँ ईशपुत्राय नमः, 6- ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः, 7- ऊँ एकदन्ताय नमः, 8- ऊँ इभवक्त्राय नमः, 9- ऊँ मूषकवाहनाय नमः, 10- ऊँ कुमारगुरवे नमः। दस नामों को लेकर चढ़ायें।
तत्पश्चात 21 लड्डुओं का भोग रखके पांच लड्डू मूर्ति के पास चढ़ायें और पांच ब्राहम्णों को दें और आरती करने के बाद शेष लड्डुओं को प्रसाद के रूप वितरित करें। पूजन की यह विधि चतुर्थी के मध्यान्ह काल में करें। ध्यान रखें कि गणेश पूजन में तुलसी दल निषेध माना गया है।
कैसें करें आरती?
गणेश जी की परम्परा आरती बोलते हुये दीप ज्योति को सर्वप्रथम उनके चरणों में 4 बार घुमायें, असके बाद 2 बार नाभि पर घुमायें तत्पश्चात मुख मण्डल पर 3 बार दीप घुमायें तथा अन्त में गणेश जी के सभी अंगों के सामने 7 बार दीप घुमाना चाहिए। आरती के बाद शंखजल व तांबे के कलश के जल को आम के पत्तों से घर, परिवार व परिजनों के उपर अवश्य छिड़के।
गणेश चतुर्थी पर चांद देखना अशुभ माना जाता है क्योंकि गणेश पुराण के अनुसार ऐसे व्यक्ति पर भविष्य में चोरी का आरोप लगाया जा सकता है। यदि चांद देख लें तो यह उपाय करें- गणेश जी पर दूर्वा चढ़ायें, नारियल चढ़ायें एंव गणेश स्त्रोत का पाठ करें। आगे पढ़ें- गणेश उत्सव पर क्या करें क्या न करें? NEXT- कैसे वर्ष बनी रहती है गणपति की कृपा?